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बसपा की तरफ ‘साइकिल दौड़ाने’ में अखिलेश ने जल्दी तो नहीं कर दी

इंडिया वोट कर टीम के अनुसार
सपा मुखिया व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बसपा की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाने में जल्दी तो नहीं कर दी। एग्जिट पोल आने से पहले ही उन्होंने भाजपा को रोकने के लिए बसपा से दोस्ती का संकेत दे दिया। सपा के ही कुछ नेता मान रहे हैं कि मतगणना के बाद इस तरह का बयान आता तो बेहतर रहता।

अखिलेश यादव पूरे चुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती को ‘बुआ’ कहकर संबोधित करते रहे। उन्होंने अधिकतर सभाओं में कहा, वह बुआ तो हमारी हैं लेकिन पता नहीं कब भाजपा वालों के साथ रक्षाबंधन मना लें।

वह बसपा का नाम लिए बिना उसकी पुरानी सरकार को पत्थर वाली सरकार कहते रहे हैं। मायावती ने अखिलेश पर घर में विदेशी पत्थर लगाने का आरोप लगाया था।

इस पर तीन दिन पहले सीएम से सवाल हुआ तो उन्होंने मायावती को अपने निवास पर एक कप चाय का ऑफर दिया था। कहा था कि वह चाय पीने आएं और पत्थर भी देख लें। इस चाय की पेशकश को नई दोस्ती के आगाज के रूप में देखा जा रहा है।
सपा के एक नेता के मुताबिक गठबंधन बहुमत से सरकार बनाएगा। खराब हालात रहे तो भी सपा सबसे बड़ी पार्टी रहेगी। ऐसे में सीएम को अभी बसपा से दोस्ती की पेशकश नहीं करनी चाहिए थी।

Source : Amar Ujala






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